कल रावण जला
गलियों में, मोहल्लों में,
गांवों में, शहरों में,
धू धू कर उसे जलते देखा
मैंने देखा, और भीड ने देखा
गांव ने देखा, शहर ने देखा
बजती ताली की थापों ने सुना
छोटे बच्चों की किलकारी ने सुना
और उस भीड में हम सबने सुना
जब रावण जला कर बाहर निकले
तो हर तरफ एक रावण था
हर रुप रंग का रावण था
मोटर साइकिल पर हार्न बजाता
कारों में शोर मचाता,
गलियों में, बसों में झगडा करता और चिल्लाता
हर गली में रावण था
दूसरों की सीता हरने को तैयार
राम का वध करने को तैयार
तो फिर हमने किसे मारा था?
हमने क्यों तालियां बजाईं थीं?
हमने क्यों खुशियां मनाई थीं?