पिछले लंबे समय से मै ब्लागिंग से दूर रहा जिसकी वजह थी मेरी नौकरी। कुछ सामयिक और कुछ असामयिक कारणों से अत्यधिक कार्य हो गया था और चाह कर भी समय नहीं निकाल पा रहा था इसलिए लेखन को विश्राम देकर कर्म किए जा रहा था। इस दौरान बहुत सारी घटनाएं घट गईं। मन करता था – इस बात पर लिखूं – इस बात पर लिखूं पर एक पंथ दो काज हो न सके। अब जब काम का बोझ हल्का हुआ तो एक बार पुन: अपने पुराने शगल पर लौट आया। महंगाई और बंद, सत्तापक्ष और विपक्ष और इन दोनों से बिरयानी खींचता अपना भ्रष्ट मीडिया इस पर लिखने का बहुत मन था। मैं समझता हूं कि भारत का आम आदमी इन तीनों से ही त्रस्त है और लगातार अवसादग्रस्त है (मूल रुप से तो मैं कवि हूं इसलिए कवित्व बाहर आ जाता है) । मैं एक नया ब्लॉग बनाना चाहता हूं जिसका नाम भी मैंने सोचा हुआ है *मीडिया की नौटंकी* आपको मेरा यह ख्याल कैसा लगा जरा दिल खोलकर बताइए ।
ख़याल तो बुरा नहीं है. मगर एक अलग ब्लॉग की ज़रुरत क्या है, आप इसी ब्लॉग पर उनका कच्छा चिट्ठा खोल सकते हैं.
जवाब देंहटाएंस्मार्ट इण्डियन से सहमत...हमने भी चौथे खम्बे की दीमक नाम से काफी लिखा है... अब भी लिख रहे हैं...देखिए हमारी ताज़ी पोस्ट..
जवाब देंहटाएंAlag blog ki jarorat nahi hai ... isi mein likhen ...
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